भारत की आर्थिक नीतियाँ (Economic
Policies) देश के समग्र विकास और आर्थिक स्थिरता के लिए अत्यधिक
महत्वपूर्ण हैं। भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, और इसकी
नीतियाँ समय-समय पर बदलती रही हैं ताकि आर्थिक विकास को स्थिरता मिल सके और लोगों
की जीवनशैली में सुधार हो। इस लेख में, हम भारत की प्रमुख
आर्थिक नीतियों पर नज़र डालेंगे जो सभी पॉलिटेक्निक छात्रों के लिए समझना ज़रूरी
हैं, क्योंकि ये नीतियाँ भविष्य में उनके कार्यक्षेत्र और
उद्योगों पर असर डाल सकती हैं।
1. औद्योगिक नीति (Industrial Policy)
औद्योगिक
नीति भारत के औद्योगिक विकास और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए बनाई गई है। भारत
सरकार ने स्वतंत्रता के बाद से कई औद्योगिक नीतियों को लागू किया है। इनमें प्रमुख
रूप से 1948, 1956, 1977 और 1991 की औद्योगिक नीतियाँ शामिल हैं। 1991
की नई आर्थिक नीति ने भारत में उदारीकरण, निजीकरण,
और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization, Globalization
- LPG) की शुरुआत की, जिससे विदेशी निवेश में
वृद्धि हुई और भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला।
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नई औद्योगिक
नीति के तहत, छोटे उद्योगों
को बढ़ावा दिया गया और बड़े उद्योगों में सरकारी नियंत्रण को कम किया गया। इससे
भारत में उद्यमिता (Entrepreneurship) को बढ़ावा मिला और नए
उद्योग स्थापित हुए।
2. मौद्रिक नीति (Monetary Policy)
मौद्रिक
नीति भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve
Bank of India - RBI) द्वारा नियंत्रित की जाती है और इसका मुख्य
उद्देश्य मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करना,
मुद्रा का स्थिरता बनाए रखना और देश में ब्याज दरों को विनियमित
करना है। मौद्रिक नीति के तहत, RBI रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, और नकद आरक्षित अनुपात (CRR)
को नियंत्रित करता है, ताकि आर्थिक स्थिरता
बनी रहे। मौद्रिक नीति का प्रभाव सीधे तौर पर निवेश, बचत,
और मुद्रा की आपूर्ति पर पड़ता है।
3. राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)
राजकोषीय
नीति का मुख्य उद्देश्य सरकार की आय और व्यय को संतुलित करना है। इसके अंतर्गत कर
संग्रह (Taxation), सरकारी
खर्चे (Government Expenditure), और बजट संतुलन (Budget
Deficit) का ध्यान रखा जाता है। सरकार अपनी राजकोषीय नीति के ज़रिए
अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने की कोशिश करती है। सरकार द्वारा टैक्स नीति में
बदलाव से व्यवसायों और उपभोक्ताओं के व्यवहार पर सीधा असर पड़ता है, जिससे उद्योगों की उत्पादन क्षमता और मांग प्रभावित होती है।
4. विदेश व्यापार नीति (Foreign Trade Policy)
भारत की
विदेश व्यापार नीति (Foreign
Trade Policy) का उद्देश्य आयात और निर्यात (Import &
Export) को बढ़ावा देना और विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign
Exchange Reserves) को सुरक्षित रखना है। इस नीति के अंतर्गत सरकार
विभिन्न छूटें और सब्सिडी देती है ताकि देश का निर्यात बढ़ सके और विदेशी कंपनियों
को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
भारत की
वर्तमान विदेश व्यापार नीति में "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर
भारत" जैसे अभियानों का महत्वपूर्ण स्थान है। इन अभियानों के तहत, देश में उत्पादन बढ़ाने और भारत को एक
मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।
5. कृषि नीति (Agricultural Policy)
भारत एक
कृषि-प्रधान देश है, जहाँ बड़ी संख्या में लोग कृषि पर निर्भर हैं। कृषि नीति का मुख्य
उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा (Food Security) को सुनिश्चित करना है। हरित क्रांति (Green Revolution) के बाद भारत की कृषि नीति में कई सुधार हुए। इसके तहत किसानों को सस्ते ऋण,
बेहतर बीज, और सिंचाई सुविधाओं का लाभ दिया
गया।
हाल के
वर्षों में, कृषि में
तकनीकी सुधार और जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा
देने पर ज़ोर दिया गया है। सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit
Card) और पीएम किसान योजना जैसी योजनाएँ शुरू की हैं, ताकि किसानों को आर्थिक सहायता मिल सके और उनकी उपज बढ़ सके।
6. श्रम नीति (Labor Policy)
भारत की
श्रम नीति का उद्देश्य कामगारों के हितों की रक्षा करना और रोजगार के अवसरों को
बढ़ावा देना है। इसके तहत सरकार ने श्रम कानूनों (Labor Laws) को सरल और एकीकृत किया है ताकि
रोजगार देना और लेना आसान हो सके। इसके साथ ही, देश में
कामकाजी माहौल को बेहतर बनाने और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया
गया है।
हाल ही में
श्रम कानूनों में सुधार करते हुए चार नए श्रम संहिता (Labor Codes) पेश किए गए हैं, जिनका उद्देश्य देश में औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों को एक
समान अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करना है।
7. सामाजिक कल्याण नीति (Social Welfare Policy)
भारत की
सामाजिक कल्याण नीति का उद्देश्य देश के पिछड़े और गरीब वर्गों के जीवन स्तर में
सुधार करना है। इसके तहत सरकार कई सामाजिक योजनाएँ चलाती है, जैसे कि मनरेगा (MGNREGA), प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), और आयुष्मान भारत।
इन योजनाओं के ज़रिए सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रोजगार, आवास, और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करती है।
8. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)
वित्तीय
समावेशन का उद्देश्य उन लोगों तक बैंकिंग सेवाओं को पहुँचाना है, जो अभी तक इनसे वंचित हैं। इसके अंतर्गत जन
धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana), प्रधानमंत्री
सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), और अटल पेंशन योजना (Atal
Pension Yojana) जैसी योजनाओं को लागू किया गया है। इन योजनाओं का
उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक वित्तीय सेवाओं की पहुँच को सुनिश्चित करना है।
9. डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया
डिजिटल
इंडिया अभियान का उद्देश्य देश में डिजिटल सेवाओं और डिजिटल ढांचे को बढ़ावा देना
है। इसके अंतर्गत डिजिटल पेमेंट्स, ई-गवर्नेंस, और इंटरनेट कनेक्टिविटी पर
जोर दिया जा रहा है। स्टार्टअप इंडिया अभियान का लक्ष्य युवाओं को नई सोच और
उद्यमिता के लिए प्रेरित करना है, ताकि वे नए उद्योग और
व्यवसाय स्थापित कर सकें।
10. स्वास्थ्य नीति (Health Policy)
स्वास्थ्य
नीति का उद्देश्य देश के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार ने 50 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया है। इसके
अलावा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health
Mission) के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत किया जा रहा
है, ताकि हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँच सकें।
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निष्कर्ष
भारत की
आर्थिक नीतियाँ देश के समग्र विकास और सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाती हैं। पॉलिटेक्निक छात्रों के लिए इन नीतियों को समझना इसलिए आवश्यक है
क्योंकि ये उनके भविष्य के रोजगार और कार्यक्षेत्र को सीधे प्रभावित करती हैं।
चाहे वह औद्योगिक नीति हो, मौद्रिक नीति हो, या फिर श्रम नीति, सभी नीतियाँ देश के आर्थिक ढाँचे को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाती
हैं।
देश की
विकास यात्रा में आर्थिक नीतियों का समुचित ढंग से क्रियान्वयन और इनका समय-समय पर
सुधार अत्यंत आवश्यक है। इन नीतियों के ज़रिए न केवल देश की आर्थिक स्थिरता को
सुनिश्चित किया जा सकता है, बल्कि समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकता है।